सारंगी

संगीत, भारतीय साहित्य और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और भारत की संगीत परंपरा विश्व में अद्वितीय है। इस प्राचीन संगीत परंपरा में विभिन्न मध्यकालीन और आधुनिक वाद्य और गायन उपकरणों का विकास हुआ है, और उनमें से एक बहुत ही विशेष और प्राचीन वाद्ययंत्र है – “सारंगी“।

सारंगी का इतिहास

सारंगी, भारतीय गीत, संगीत, और संस्कृति के अद्वितीय आधार में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका प्रारंभ भारतीय इतिहास में कुछ 1500 ईसा पूर्व के लगभग किया जा सकता है।

सारंगी का निर्माण और डिज़ाइन

सारंगी एक विशेष प्रकार का तार वाद्ययंत्र है जिसमें चार तार होते हैं – तीन मुख्य तार और एक चालने वाला तार। ये तार सारंगी के ध्वनि को उत्पन्न करते हैं। इसके तार गुट काजू के पेड़ों से बनाए जाते हैं, और यह वाद्ययंत्र के संगीतिक गुणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सारंगी के आकार-प्रकार

सारंगी का आकार देखें तो सारंगी अलग-अलग प्रकार की होती है। थार प्रदेश में दो प्रकार की सारंगी प्रयोग में लाई जाती हैं। सिंधी सारंगी और गुजरातन सारंगी। सिंधी सारंगी आकार-प्रकार में बड़ी होती है तथा गुजरातन सारंगी को मांगणियार व ढोली भी सहजता से बजाते हैं। सभी सारंगियों में लोक सारंगी सबसे श्रेष्ठ विकसित हैं। सारंगी का निर्माण लकड़ी से होता है तथा इसका नीचे का भाग बकरे की खाल से मंढ़ा जाता है। इसके पेंदे के ऊपरी भाग में सींग की बनी घोड़ी होती है। घोड़ी के छेदों में से तार निकालकर किनारे पर लगे चौथे में उन्हें बाँध दिया जाता है। इस वाद्य में 29 तार होते हैं तथा मुख्य बाज में चार तार होते हैं। जिनमें से दो तार स्टील के व दो तार तांत के होते हैं। आंत के तांत को रांदा कहते हैं। बाज के तारों के अलावा झोरे के आठ तथा झीले के 17 तार होते हैं। बाज के तारों पर गज, जिसकी सहायता से एवं रगड़ से सुर निकलते हैं, चलता है। सारंगी के ऊपर लगी खूँटियों को झीले कहा जाता है। पैंदे में बाज के तारों के नीचे घोड़ी में आठ छेद होते हैं। इनमें से झारों के तार निकलते हैं।

गुजरातन सारंगी को गुजरात में बनाया जाता है। इसे बाड़मेर व जैसलमेर ज़िले में लंगा-मगणियार द्वारा बजाया जाता है। यह सिंधी सारंगी से छोटी होती है एवं रोहिडे की लकड़ी से बनी होती है। इसमें बाज के चार तथा झील के आठ तार लगे होते हैं। मरुधरा में दिलरुबा सारंगी भी बजाई जाती है। वैसे दिलरुबा सारंगी पाकिस्तान के सिंध प्रांत में लोकप्रिय वाद्य है, परंतु जैसलमेर ज़िले में सिंधी मुसलमान रहते हैं, इसलिए यह वाद्य काफ़ी लोकप्रिय है।

सारंगी

सारंगी एक महत्वपूर्ण भारतीय वाद्ययंत्र है जो भारतीय संगीत के अनुभव को गहराई से अनुभव कराता है। इसका ध्वनि भावनाओं को एक नई ऊँचाई तक पहुँचाता है और यह भारतीय संगीत के साथ एक महत्वपूर्ण संबंध बनाता है। सारंगी भारतीय संगीत की धरोहर का हिस्सा है और इसक ा महत्व भारतीय संगीत परंपरा में अत्यधिक है। इसका अद्वितीय ध्वनि और विशेषत: आधुनिक संगीत में भी सारंगी का महत्व अब भी बना हुआ है, और यह वाद्ययंत्र दुनियाभर के संगीत प्रेमियों के बीच पसंद किया जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि सारंगी न केवल भारतीय संगीत का हिस्सा है, बल्कि यह विश्व संगीत की धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इस रूप में, सारंगी एक महत्वपूर्ण संगीत वाद्ययंत्र है जो भारतीय संगीत की गौरवशाली धरोहर का प्रतीक है और आज भी संगीत की आदर्श प्रतिष्ठा में स्थित है।

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